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दमा के दम को कैसे करें कम।

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    दमा सांस की बेहद कष्टकारी तकलीफ है। रोगी की छाती मैं कंजेशन और सांस लेने में तकलीफ अक्सर बना रहती है सांस में तकलीफ के कारण शरीर में ऑक्सीजन की जितनी मात्रा चाहिए उस अनुपात में ना मिलने के कारण शरीर कमजोर और मेटाबोलिक क्रियाएं बाधित होती है। दमा में ऑक्सीजन का संचार करने वाला चैनल अवरुद्ध होकर दमा रोग का जन्म देता है अवरोध के कारण गले से घूर घूर की आवाज और छाती में पीड़ा और सांस का तेजी तेजी से लेना होता है। बार-बार खांसी और सांस के कारण श्वास नली में चिपका हुआ कफ जब तक बाहर निकल नहीं जाता तब तक आराम नहीं आता गला भी बैठा रहता है बोलने में भी कठिनाई आती है। दमा से पीड़ित को लेटने पर उसे नींद भी ठीक नहीं आती है और वह करवट लेता है तो उसको छाती में दर्द भी रहने लगता है। ठंडी चीज खाने पर तकलीफ बढ़ जाती है और थोड़ा गर्म खानपान का सेवन करने से रोगी को आराम मिलता है। इसी लक्ष्णो वाली बीमारी को आयुर्वेद में तमक स्वास के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी में अस्थमा। ऐसी बीमारी है बीच-बीच में रोगी को सांस वाला अटैक बार-बार होता रहता है। बहुत सारे लोगों को पंप और नेबुलाइजर भी बेअसर हो जाता है। या पंप और नेबुलाइजर की फ्रीक्वेंसी बढ़ानी पड़ती है फिर भी दमा का दम कम नहीं होता है।

    जड़ी बूटी दमबेल जिसे वैज्ञानिक नाम टाइलोफोरा इंडिका के नाम से भी जाना जाता है दमा के दम को कम करने के लिए दमबेल के पत्ते का सेवन 3 महीने में 1 सप्ताह के लिए करने से काफी लाभ मिलता है। दमबेल का एक पत्ता एक दाना काली मिर्च के साथ खाली पेट जैसे पान को चबाकर खाते हैं उसी तरह से धीरे धीरे उस का रस चबाके ले यह क्रिया हर रोज सुबह में खाली पेट 7 दिन तक दोहराएं लाभ अवश्य मिलता है। सेवन करने के 1 घंटे तक कुछ ना खाए। दमा के रोगी दमबेल अपने आसपास भी लगा सकते हैं और इसका सेवन करके उचित लाभ लेते रहेंगे जिसको लगाने के लिए इसकी एक छोटी सी टहनी बेल की टहनी आसपास अपने बगीचे में लगा दें यह अपने आप कुछ समय के बाद ढेर सारे पत्ते आपको देती रहेगी काली मिर्च आपके किचन में सर्वथा उपलब्ध रहती है।

    दूसरा बेहतर और कारगर उपाय मग पीपल जिसको कुछ लोग गरम मसाले में भी प्रयोग करते हैं साइंटिफिक नाम पाइपर लोंगम है। जो सुखी शहतूत फल जैसा होता है। पंसारी और किराना के दुकान पर बहुत आसानी से उपलब्ध रहता है। 3 दाना पीपल फल को एक कप दूध में और एक कप पानी में जब तक उबालें तब तक पानी का अंश पूरी तरह से खत्म ना हो जाए छान कर ठंडा कर लें गुनगुना होने तक सिप सिप करके यह प्रयोग मात्र 15 से 21 दिन ही करना है इस बात का जरूर ध्यान देना है अन्यथा यह लंबे समय तक सेवन करने के बाद आपकी तकलीफ को बढ़ा सकता है।

    सुकून हर्बल चाय जिसमें तुलसी ग्रीन टी , अश्वगंधा अर्जुन इलायची सौंफ सोया, गिलोय, जावित्री आदि जड़ी-बूटी तत्वों से बना है जो स्वाद में और खुशबू में लाजवाब है और भरपूर ताजगी का एहसास भी देता है। सुकून हर्बल चाय सेवन करके भी शरीर में कफ ,रेशा ,थकान, दर्द को कम करने और स्वास्थ्य लाभ देने में बेहद कारगर है । हर्बल चाय का प्रयोग करने के लिए दूध चीनी किसी प्रकार की आवश्यकता नहीं होगी। स्वाद भी , सेहत भी । सुकून हर्बल चाय को रोज पीने वाली चाय की जगह सेवन करें यूनिटी बढ़ाएं वजन घटाएं और शरीर को स्वस्थ बनाए ।

    इन सब प्रयास करने के बाद भी आपको ऐसा लगता है कि लक्षणों में बहुत ज्यादा सुधार नहीं मिल रहा है तो हमारे संस्थान में वैदिक निदान टूल के माध्यम से अपनी समस्या दर्ज कर सालाह एवं समाधान प्राप्त कर सकते हैं ।

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