थायराइड समस्या बहुतों की समस्या है। इस समस्या से महिलाएं 3 गुना ज्यादा प्रभावित होती हैं पुरुषों के अपेक्षाकृत। थायराइड से जुड़े हुए सारे सवाल हाइपर थायराइड और हाइपो थायराइड क्या है इनके बीच अंतर क्या है इनको कैसे पहचाना जा सकता है इनका घरेलू उपचार क्या है और यह रोग पुराना हो जाता है तो शरीर में मन में यानी तन और मन में जो तकलीफ पैदा करते हैं इससे संबंधित सारे सवाल का अलग-अलग आर्टिकल के माध्यम से जागरूकता बचाव के उपाय और प्राकृतिक तरीके से लड़ने निकलने का उपाय साझा किया गया है।
जो लोग इस तकलीफ से पीड़ित है , हार्मोन सप्लीमेंट लंबे समय तक सेवन करने के बाद भी लक्षणों में थायराइड प्रोफाइल में एब्नार्मेलिटी बनी रहती है ऐसे लोग प्राकृतिक औषधियां जड़ी बूटियों की औषधियों का सेवन वैद्य के मार्गदर्शन में लें आशातीत लाभ कुछ ही महीनों में दिखने लगते हैं और कुछ ही महीने सेवन करने से बहुतों की समस्या से निजात मिल जाता है और हमेशा हमेशा के लिए नियमित दवाइयों से छुटकारा मिल जाता है।
भार्गव आयुर्वेद संस्थान 20 वर्षों के गहन शोध और आयुर्वेद के मौलिक सिद्धांतों के आधार पर सही और सटीक कारगर औषधियां वाला फॉर्मूलेशन जनमानस के लाभ के लिए प्रस्तुत किया है। जो लोग इस कठिन समस्या से ग्रसित हैं प्राकृतिक विकल्प ढूंढ रहे हैं तो उनके लिए बेहतर विकल्प है सेवन करें लाभ उठाएं सेवन करने से पहले मन में कोई प्रश्न है या संशय है तो संस्थान में कॉल करें अथवा मैसेज ड्रॉप करके संबंधित पूछताछ कर सकते हैं संस्थान के एक्सपर्ट और सेहत सलाहकार आपकी सेवा के लिए सदैव तत्पर है।
बहुतों की समस्या थायराइड के रोग के लक्षणों के अलावा, भी अन्य बीमारियां भी साथ में होती हैं ऐसे लोगों का भी समाधान संस्थान में मिलता है वह लोग वैदिक निदान के माध्यम से अपनी समस्या दर्ज करके सेहत समाधान दूर रहने के बावजूद भी घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं वैदिक निदान टूल एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा आप अपनी सभी बातों को संस्थान तक बिना हड़बड़ाहट बेचैनी के अपने कंफर्ट पर सबमिट करके संस्थान से अवगत करा सकते हैं संस्थान के एक्सपर्ट आपकी शारीरिक समस्या को आयुर्वेदिक सिद्धांत के नजरिए से मूल्यांकन करके सफल और सरल इलाज उपाय आपके लिए बताते हैं।
थायराइड के दोनों प्रकार के रोगी मतलब हाइपर थायराइड और हाइपो थायराइड इस लिंक पर क्लिक करेंगे तो दोनों का इलाज और ट्रीटमेंट पैकेज अलग-अलग है जिसको ऑनलाइन मंगाकर कुछ महीने लगातार सेवन करने से थायराइड जैसी गंभीर बीमारी की जड़ से, आयुर्वेदिक तरीके से जड़ी बूटियों द्वारा सफलता पाएं। https://bhargavayurveda.com/product-category/treatment-packages/thyroid/
हाइपोथैलेमिक पिट्यूटरी एक्सेस को बैलेंस होने में लगभग 2 महीने का वक्त लगता है इसलिए थायराइड टेस्ट की सलाह दवा सेवन के 2 महीने के बाद दी जाती है ।
हाइपो थायराइड खानपान सेवन एवं परहेज
- हाइपो थायराइड में गले में सूजन को कम करने के लिए जलकुंभी का पाउडर मुल्तानी मिट्टी के साथ लेप लगाएं।
- खिचड़ी में काली मिर्च अल्प अंश में डालकर सेवन फायदेमंद है
- बैलेंस डाइट आहार रोग मुक्ति दिलाने में सहायक है।
- अदरक लहसुन प्याज का सेवन फायदेमंद है।
- कैल्शियम मैग्नीशियम की मात्रा प्रचूर लें ताकि कमजोरी ना आए।
- गोभी मूली का सेवन बिल्कुल ना करें।
- मूड स्विमिंग में प्रयोग होने वाला लिथियम , घबराहट बेचैनी में प्रयोग होने वाला बीटा ब्लॉकर, दर्द पीड को ठीक करने में प्रयोग होने वाला ओपॉयड एनाल्जेसिक्स दर्द निवारक दवा और ईस्ट्राइड का सेवन, से कभी-कभी सभी लक्षण थायराइड से ही मिलते हैं लेकिन थायराइड प्रोफाइल नॉर्मल होती है इस कारण का जरूर अलोकन करें।
हाइपर थायराइड खानपान सेवन एवं परहेज
- इसका कारण मानसिक उद्देग और पित आम विकार होता है, जिसमें मानसिक ताकत बढ़ाने वाला जड़ी बूटी ब्राह्मी शंखपुष्पी का सेवन के साथ भूमि आंवला और भृंगराज का प्रयोग अच्छा है। रिलैक्सो काम, जॉय टेबलेट और यकृत शोधन वटी उपलब्ध है।
- जीवनीगन की औषधियां जिसमें खासकर जीवंती और शतावरी को दूध में उबालकर सेवन करने से फायदा मिलेगा। जीवनी रसायन उपलब्ध है।
- यौन दुर्बलता में शतावरी सालम पंजा सालम मिश्री आदि के घर से बनी हुई कैप्सूल का प्रयोग करें फेमो टर्बो।
- आंवले का मुरब्बा या आंवले का रसायन बेहद फायदेमंद है।
- इसमें पेट की समस्या बीच-बीच में आती है अतिसार बना रहता है जिसके लिए आतिश बिल्व का प्रयोग सफल है।
अधिक जानकारी के लिए पूछताछ करें, सलाह प्राप्त करें, लाभ उठाएं।