
में छोटे-छोटे संधि जोड़ो में दर्द और स्टीफनेस पाया जाता है आयुर्वेद के दृष्टिकोण से आमवात कहा जाता है इसमें कफ और वात दोष की विकृति होती हैइस बीमारी में हड्डियां कमजोर, शिथिल व सूजन हो जातीहैं
• क्यों होती है ऐसी समस्या
यह रोग पेट से होने वाला विकार है लंबे समय से अजीर्ण रहना अर्थात भोजन का सही ढंग से न पचना व डाइजेस्टिव सिस्टम का स्लगिश होने के फलस्वरूप आम दोष( टॉक्सिन )बड़ी आंत मे बनती है जोकि आंत का कार्य मल का निष्कासन करना होता लेकिन यह मल नहीं है टॉक्सिन होने से आंत में ही पड़ा रहताहै जो सिस्टमैटिक सरकुलेशन के माध्यम से कमजोर हड्डियों या वीक बोन सेल्स पर इसका डिपोजिशन होने से वात को अवरुद्ध करके हड्डियों में तेज दर्द ,सूजन और अकड़ाहट के लक्षण नजर आने लगते हैं
• कारण
• अपचन की स्थिति (अर्थात खाना ना पचना)में खाना खाना
• बार बार खाना खाने की आदत हो ना
• बासी भोजन करना
• ज्यादा ठंडा पानी पीना, खाना खाना
• वात वर्धक आहार-विहार का सेवन करना
•संयोग विरुद्ध आहार का सेवन करना
• गरिष्ठ भोजन अर्थात हैवी डाइट लेने की आदत होना
• सिडेंटरी लाइफ अर्थात नो वर्क नो एक्सरसाइज से भीआम दोष का निर्माण होता है
• मानसिक तनाव होना
•डाइजेस्टिव सिस्टम का स्लगिश होने से रूमेटाइड अर्थराइटिस होने का मुख्य कारण है
•ओल्ड एज (वृद्धअवस्था ) इस अवस्था में वायु का प्रकोप ज्यादा होता है जिससे हड्डियों (बोन सेल्स) में ड्राइनेस आने लगती है जो वात का स्पेशल गुण है जिससे जिससे हड्डियों के आपस रगड़ से क्रैकिंग होने से वहां पर छोटे-छोटे पोकेटस बनने लगते हैं और वहां पर आम
टॉक्सिन श्लेष्म पदार्थ जमने लगता है जिससे हड्डियों में वात रुक कर तेज दर्द पैदा करता है और हड्डियां कमजोर हो जाती
• लक्षण
•शुरुआती दौर में छोटी-छोटी संधियों में दर्द होना साथ में बुखार हल्का-फुल्का रहता है
• गाठें बनना
•स्टीफनेस होना
• आर ए फैक्टर का पॉजिटिव होन
• हड्डियों का कमजोर होना
•बाय लेटरल सिमिट्रिकल प्रेजेंटेशन इसका मेन लक्षण होता है जैसे हाथ के दोनों कलाई में दर्द होना
और स्टीफनेस होना
• क्या कहता है आयुर्वेद
आयुर्वेद के अनुसार सफल और सटीक इलाज है यदि नब्ज जांच के आधार पर रोगी के प्रकृति और विकृति या प्रजेंट स्टेटस आफ दोषा की स्थिति को समझ कर इसके अनुरूप ट्रीटमेंट देने के प्रयोजन से रोगी को जल्दी आराम मिलता है रोग कि बार-बार होने की संभावना पूर्णता खत्म हो जाती है यदिरोग के शुरुआती दौर में निदान होने पर आयुर्वेदिक औषधि का सेवन करने पर बहुत अच्छा लाभ मिलता है और रोगी जल्दी स्वस्थ हो जाता है
• समाधान
•उपवास रखें
•जठराग्नि प्रदीप्त अर्थातभूख को बढ़ाएं
• फ्रेश जिंजर का सेवन करें
•हड्डियों के ताकत के लिए कैल्शियम का योग जैसे प्रवाल पिष्टी
• सोठ ,पीपली ,काली मिर्च के योग का सेवन करें
•लोकल आयल मसाज स्टीम दें
•पेट साफ रखें कब्ज ना होने दें
भार्गव आयुर्वेद संस्थान मे ऑटो इम्यून और अर्थराइटिस के मूलभूत कारणों को आयुर्वेद के मौलिक सिद्धांत से जुड़ी हुई शुद्ध दवाइयों के फॉर्मूलेशन द्वारा अर्थराइटिस का इलाज किया जाता है। जिसके लिए शरीर में किसी भी प्रकार का कहीं भी दर्द हो जो सूजन और क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन से जुड़ा हुआ है उसके लिए आर डी कषाय दवा का सेवन करने से बहुत लाभ मिलता है।
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