
एलर्जी शरीर के आंतरिक और बाहरी दोनों कारणों से होती है। जिसमें शरीर का डिफेंस सिस्टम एक्टिवेट हो कर लिंफोसाइट , मास्ट सेल बसोफिल जो शरीर की प्रतिरक्षा की जिम्मेदार कोशिकाएं होती हैं आंतरिक और बाह्य एलर्जी कारणों से फाइट करने के फलस्वरूप हिस्टामिन, ब्रैडीकिनिन, साइटोकिनिन केमिकल्स फंक्शनल डिस्टरबेंस करके आयुर्वेद के सिद्धांत के अनुसार पित्त दोष, श्लेष्मक उपदोष एवम् रस धातु को दूषित करके खासकर अपने अंगों से जुड़े हुए संस्थान/ सिस्टम को प्रभावित एवं कमजोर कर, विकार ग्रस्त बना देता है। यदि एलर्जी शरीर के अंदरूनी कारणों से होती है तो उसको ऑटो इम्यून एलर्जी की संज्ञा दी जाती है।
साइनस एलर्जी में नेजल पैसेज में सूजन, खांसी, कफ, सूखी खांसी, सीजनल एलर्जी, छींके आना, आंखों में खारिश ,नाक से पानी आना आदि लक्षण मिलते हैं जो खासतौर से रेस्पिरेटरी सिस्टम को रेगुलेट करने वाले कफ के भेद अवलमबक और श्लेष्मा कफ का दूषित विगुण कर्म करने की वजह से होता है।
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