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Bronchial Asthma

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    Bronchial Asthma

    अस्थमा फेफड़ों (लंग्स ) का होने वाला संक्रमण रोग है आज के दौर में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण लंग्स एलर्जी रोग जैसे दमा और अन्य फेफड़ों से संबंधित रोग हो रहे हैं दमा का प्रकोप आमतौर से छोटे बच्चों से बड़े लोग भी इस संक्रमण की चपेट से ग्रसित होते हैं अगर अस्थमा की पैथोफिजियोलॉजी देखी जाए तो श्ववसन नलिका में सूजन आ जाती है वह श्ववसन नलिका सिकुड़ जाती है और उससे बलगम का प्रोडक्शन होने लगता है।
    तब लंग्स पैसेज बलगम से बंद हो जाता है तब सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है जिससे फेफड़ों में ऑक्सीजन पर्याप्त नहीं मिलता है इसके फल स्वरूप दमा का दौरा खांसी आदि के साथ तेज हो जाता है ।
    लेकिन आज के दौर में मॉडर्न पैथी के अनुसार लोग इस के प्रकोप को रोकने के लिए इनहेलर, ब्रोंकोडाइलेटर और नेबुलाइजर लेते हैं इससे लेने से तत्कालिक लाभ तो मिल जाता है परंतु लंबे समय तक इसका असर कम और परमानेंट क्योर नहीं मिल पाता है इससे रोग दब तो जाता है। और भविष्य में इसके कॉम्प्लिकेशन बढ़ते रहते हैं और समस्या का निजात स्थाई रूप से नहीं मिल पाता है।

    क्यों होती है ऐसी समस्या

    आयुर्वेद के अनुसार अस्थमा और क्रॉनिक बलगम का निर्माण या बनना पेट से होने वाला रोग है क्योंकि कफ का मेन स्थान स्टमक अमाशय होता है गलत आहार – बिहार के सेवन से वीक स्टमक आर्गन कफ (बलगम) बनाता है ये कफ सिस्टमैटिक सरकुलेशन के माध्यम से लंग्स में संचित होता रहता है जिससे प्राणवायु संस्थान में कफ बढ़ता रहता है प्राण वायु के दो कंपोनेंट होते हैं कफ और वात जब यह दोनों दोष बढ़ते हैं तो वात कफ को वहां सूखा देता है ठंड के सीजन में ज्यादा दिक्कत रहती है क्योंकि ठंड में वात की ज्यादा वृद्धि होती है जो कफ को ड्राई कर देती है जिससे अस्थमा वाले पेशेंट को दिक्कत बढ़ जाती है।
    आयुर्वेद शास्त्र कहता है की कफ से होने वाले रोग 40 प्रकार के होते हैं यदि जीवन शैली आहार-विहार कुछ सही कर लिया जाए तो इनसे छुटकारा मिल जाता है
    उपरोक्त कारणों से स्पष्ट हो जाता है की यदि लंग्स के उपचार के साथ साथ करने व पेट की समस्या का समाधान कर दिया जाए तो इस समस्या से काफी हद तक निजात मिल जाता है

    क्या क्या कारण है

    •ज्यादा हैवी डाइट लेना
    •मीठा ,खट्टा और नमक का ज्यादा सेवन करना
    •डेरी प्रोडक्ट ज्यादा लेना
    •तली भुनी चीजें खाना
    •मौसम के विपरीत खानपान
    •जीवन शैली लाइफस्टाइल का अनियमित रहना
    •ऋतु चर्या का पालन न करना
    •इम्यूनिटी सिस्टम का कमजोर होना जिससे खांसी जुखाम से बार-बार लंग्स का इंफेक्शन होता है
    •स्ट्रेस का भी अहम रोल होता है ।
    • पाचन कमजोर होने से भी बलगम बनता है जो आमरस के रूप में रेस्पिरेट्री सिस्टम में जाकर जमता है
    क्या क्या लक्षण है
    •सांस लेने में दिक्कत
    •घबराहट
    •खांसी
    •सांस फूलना
    •पसीना आना
    •बुखार, चेस्ट पेन आदि का होना
    •वीकनेस कमजोरी का महसूस होना क्योंकि ऑक्सीजन पूरी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते हैं जिससे सिर में भारीपन और कमजोरी के लक्षण नजर आते हैं
    •सीने में जकड़ाहट
    उपरोक्त लक्षणों को लंबे समय तक नजरअंदाज करने पर निम्नलिखित विकार होने के खतरे बढ़ जाते हैं जैसे
    •लंग्स में ड्राइनेस होने से फाइब्रोसिस होने का खतरा रहता है।
    •लंग्स के अंदर बलगम सूख जाता है उसे कैलशिफाइड लंग्स कहते हैं।
    •लंग्स के अंदर छोटी छोटी गांठे बनना उसे सारक्लोसिस लंग्स कहते हैं।
    •लंग्स के अंदर पानी भर जाना प्लूरीसी कहते हैं।
    अर्थात कहने का मतलब शुरुआती दौर में रोग का जड़ से इलाज होने पर इन बड़ी-बड़ी बीमारियों का होने से राहत मिल जाती है और भविष्य मे‌ होने का खतरा टल जाता है

    क्या कहता है आयुर्वेद

    आयुर्वेद हमेशा सभी बीमारियों का रूट काज का इलाज करता है नब्ज की जांच करा कर अपनी प्रकृति के ही हिसाब से आहार-विहार का सेवन करके एवं औषधि के सेवन से लंग्स को स्ट्रैंथनिंग (ताकत) और इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ाने से इस रोग में काफी फायदा मिलता है

    घरेलू उपाय

    अदरक जूस शहद में मिला कर ले
    सोठ पीपली काली मिर्च का योग ले ।

    समाधान

    आयुर्वेदिक चिकित्सा के परामर्श के अनुसार नब्ज जांच करा कर अपनी प्रकृति के अनुकूल आहार का सेवन करें । भार्गव आयुर्वेद संस्थान श्वास एलेरजी का सफल इलाज जीएमपी सर्टिफाइड कंपनी के प्रोडक्ट के आधार पर करता है अस्थमा या क्रॉनिक कफ ट्रीटमेंट के लिए दवा जाने और पाएं।
    चिकित्सा के अभिलाषी लोग भी नब्ज़ दिखाकर निदान कराके सही एवं सटीक इलाज प्राप्त करें।
    जो लोग दूर-दराज में रहते हैं आने में असमर्थ है वह लोग भी संस्थान में संपर्क करके मैसेज डाल कर या वैदिक निदान लिंक के माध्यम द्वारा अपनी समस्या को अपने कंफर्ट पर दर्ज करा कर परामर्श प्राप्त कर सकते हैं।


    संस्थान के एक्सपर्ट एवं सलाहकार आपकी सेवा के लिए सदैव तत्पर

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