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Lumbar spondylosis

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    Lumbar spondylosis
    लम्बर स्पोंडिलोसिस- अर्थराइटिस के ग्रुप का विकार है आयुर्वेद के अनुसार यह वात व्याधि के श्रेणी में आता है यह समस्या प्रमुख रूप से रीड की हड्डी स्पाइन को प्रभावित करते हैं।
    लंबर स्पॉन्डिलाइटिस से ग्रसित व्यक्ति वर्टिबल जॉइंट में सूजन आ जाती है इस रोग में दर्द- कमर से पैर तक धीरे धीरे बढ़ता रहता है ।
    गंभीर स्थिति में कंधे ,गर्दन और कमर को चलाना मुश्किल हो जाता है। स्पांडिलाइसिस में हड्डियों के टुटने की संभावना बढ़ जाती है रोग की क्रॉनिक स्थिति में हाथ पैर में झनझनाहट ,सूनापन की समस्या हो जाती है।

    क्यों होते हैं ऐसी समस्या

    आयुर्वेद के दृष्टिकोण से बैक पेन, ज्वाइंट पेन, नेक पेन और अर्थराइटिस यह सभी वात-विकार मुख्यतः कोलेन बड़ी आंत से शुरू होने वाला रोग है। विषाक्त द्रव्य को कोलेन से निकाल देने से कोलेन डिटॉक्स हो जाता है। क्योंकि वात का मुख्य स्थान कोलेन पक्वाशय है और कोलेन की न्यूकस लेयर अस्थि धरकला भी कहते हैं जो अस्थियों के नरिशमेंट ,पोषण का कार्य करता है सभी प्रकार के प्रोटीन ,बिट मिंस,आयरन, फोलिक एसिड और कैल्शियम आदि की शरीर में कमी होना एक मात्र कारण कोलेन का डिटॉक्स न होना ।
    आयुर्वेद शास्त्र कहता है की यदि आहार-विहार एवं दिनचर्या रात्रि चर्या का पालन करें तो वात से संबंधित होने वाले 80 प्रकार के बीमारियों से छुटकारा मिल सकता हैं।
    प्रायः ऐसे विकार वात के विकृत दोष अर्थात आउट ऑफ कंट्रोल वात दोषा के कारण होते हैं इसका मुख्य कारण पेट का खराब रहना, कब्जी रहना ,गैस बनना ,आम (टॉक्सीन )का निर्माण एवं वायु की विकृति होती है वात का स्पेशल गुण ड्राइनेस (रूक्षता )होता है जिससे हड्डियों में ड्राइनेस आने से हड्डियां कमजोर, घिसने और टूट -फूट होने की संभावना ज्यादा रहती हैं और विकृत वात हमेशा दर्द पैदा करता है ।

    क्या क्या कारण हैं

    -पेट का साफ न होना
    -जीभ पर सफेद रंग की कोटिंग
    -स्पाइन के लचीलापन में कमी आना
    -फिजिकल एक्सरसाइज न करना
    -रॉन्ग पोस्चर , रॉन्ग बेंडिंग
    -शरीर का ज्यादा वेट बढ़ने से
    -लंबे समय तक एक अवस्था में बैठे रहना
    क्या क्या लक्षण है
    -चलने, खड़ा होने, झुकने उठाने के -दौरान दर्द बढ़ जाता है
    -पैर में सुनापन
    -पीठ पर सूजन
    -पीठ और कूल्हों के आसपास -सूनापन होना
    -कभी-कभी कमर दर्द में नर्व कंप्रेस होने से सीयेटीक पेन होता हैं

    क्या कहता है आयुर्वेद

    आयुर्वेद हमेशा बीमारी के जड़ का इलाज करता है नब्ज जांच करा कर अपनी प्रकृति के हिसाब से आहार बिहार का सेवन करके रोग से बचा जा सकता हैं इस रोग में डिजनरेटिव चेंजेस, नर्व को ताकत देते हुए और वात शामक औषधि के प्रयोग करने से इस तरह के विकार से निजात बहुत ही सुलभ ढंग से मिल जाता

    समाधान

    आयुर्वेदिक चिकित्सा के परामर्श के अनुसार नब्ज जांच करा कर अपनी प्रकृति के अनुकूल आहार का सेवन करें । भार्गव आयुर्वेद संस्थान सफल इलाज जीएमपी सर्टिफाइड कंपनी के प्रोडक्ट के आधार पर करता है बैक पेन (लंबर स्पॉन्डलोसिस) ट्रीटमेंट के लिए दवा जाने और पाएं।
    चिकित्सा के अभिलाषी लोग भी नब्ज़ दिखाकर निदान कराके सही एवं सटीक इलाज प्राप्त करें।
    जो लोग दूर-दराज में रहते हैं आने में असमर्थ है वह लोग भी संस्थान में संपर्क करके मैसेज डाल कर या वैदिक निदान लिंक के माध्यम द्वारा अपनी समस्या को अपने कंफर्ट पर दर्ज करा कर परामर्श प्राप्त करा सकते हैं।

    उपयोगी प्रोडक्ट्स।

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