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    ओस्टियोआर्थराइटिस /जोड़ों का दर्द

    मॉडर्न साइंस में ओस्टियोआर्थराइटिस के नाम से जाना जाता है आयुर्वेद की भाषा में संधिगतवात कहा जाता है आम भाषा के रूप में लोग गठिया भी कहते हैं यह जोड़ों में दर्द और सूजन के साथ चलने फिरने में दिक्कत करता है यह शरीर की छोटे-छोटे जोड़ों को भी प्रभावित करता है। लेकिन आमतौर पर यह घुटने ,कुल्हे और रीड की हड्डी के जोड़ों को प्रभावित करता है।
    ओस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों के कार्टिलेज को क्षतिग्रस्त/ डैमेज कर देता है और जोड़ों में जब कार्टिलेज टूटना शुरू हो जाता है घिसना शुरू हो जाता है यह स्थिति समय के साथ धीरे धीरे और बढ़ती जाती है जिससे दिक्कत और अधिक होने लगती है। ओस्टियोआर्थराइटिस मे दर्द अकड़न सूजन हड्डियों में टूट-फूट की समस्या दिखाई देने लगती है जिसके कारण रोगी चलने फिरने में असमर्थता जाहिर करने लग जाता है।

    इस विकार में अधिक होने से जॉइंट विशेष रुप से प्रभावित होती है जैसे दोनों घुटने और कमर
    यह डीजनरेटीव डिजीज है एज रिलेटेड डिजीज है लेकिन आज के समय में गलत जीवन शैली में व्यस्त जीवन शैली में कम उम्र वाले लोगों युवक और युवतियों में भी अब दिखाई देने लगा है पहले 60 से 70 वर्ष के लोगों में यह बीमारी से लोग ग्रसित होते थे ।

    क्यों होती है ऐसी समस्या

    आयुर्वेद के अनुसार यह वात दोष से संबंधित विकार है जब वातवर्धक आहार लेने से जैसे ठंडी चीज, फ्रिज का ठंडा पानी ,कोल्ड ड्रिंक, अपचन की स्थिति में खाना खाना ,बार बार खाना खाने की आदत और रुक्षआहार आदि से प्रकुपित वात अर्थात आउट ऑफ कंट्रोल वात दोषा अगर वात दोष की पैथोजेनेसिस के प्रोसेस को देखा जाए तो प्रकुपित वात बड़ी आतं में संचय (एकम्यूलेशन) होकर ,प्रकोप (प्रोवोकेशन) प्रक्रिया के बाद, बड़ी आंत से प्रसर (सप्रेड) कर स्थान संश्रय करके अर्थात बोन सेल्स में जाकर हड्डियों को कमजोर करने लगता है और ड्राइनेस करता है जिससे बोन के ज्वाइंट में हड्डियों के आपस में रगड़ से टूट-फूट शुरू हो जाती है जिसको मल्टीपल ओस्टियोफाइटस विकसित हो जाते हैं जिससे जोड़ों में दर्द होना शुरू हो जाता है लक्षण को व्यक्त या दर्शाने लगता हैं ।
    अर्थात जो उपरोक्त पैथोजेनेसिस की बात कही गई है की वात का संचय और प्रकोप प्रक्रिया रोक दिया जाए या इसका इलाज कर दिया जाए तो वात से होने वाले 80 प्रकार की रोगों से छुटकारा मिल सकता है इसीलिए आयुर्वेद केवल बीमारी का इलाज नहीं करता बल्कि यह रोग के जड़ का इलाज करता है।

    क्या क्या कारण हैं


    •शरीर का ज्यादा वजन बढ़ने से
    •वात प्रकोप से जोड़ों में ड्राइनेस होने लगती है जिससे जॉइंट का लुब्रिकेशन या श्लेष्मक कफ को सुखा देते हैं जिससे वहां की कार्टिलेज या ग्रीस को सुखा देते हैं जो आम भाषा के रूप में लोग बोलते हैं घुटने की ग्रीस खत्म हो गई है
    •मसल्स का कमजोर होना
    •वात वर्धक आहार लेने से

    •बासी खाना खाने से
    •हैवी डाइट लेने से
    •हड्डियों का कमजोर होने से
    •शीतल आहार (कोल्ड डाइट )लेने से
    •रुक्ष आहार (ड्राई डाइट)लेने से
    क्या क्या लक्षण है
    •जोड़ों में दर्द और सूजन होना
    •घुटने में आवाज आना
    •घुटनों का भारीपन रहना
    कॉन्स्टिपेशन रहना
    •बड़े संधियों में दर्द रहना जैसे हिप ज्वाइंट पेन
    नी ज्वाइंट पेन ,शोल्डर ज्वाइंट पेन
    •जॉइंट पर हाथ रख कर मूवमेंट करने से खटखट के आवाज का आभास होना
    क्या कहता है आयुर्वेद
    आयुर्वेद हमेशा सभी बीमारियों का रूट काज का इलाज करता है नब्ज की जांच करा कर अपनी प्रकृति के ही हिसाब से आहार-विहार का सेवन ओस्टियोआर्थराइटिस या जोड़ों के दर्द के इस समस्या से निजात मिल जाता है

    समाधान

    आयुर्वेदिक चिकित्सा के परामर्श के अनुसार नब्ज जांच करा कर अपनी प्रकृति के अनुकूल और विकृति के प्रतिकूल आहार का सेवन करें । भार्गव आयुर्वेद संस्थान नसो जोड़ो मांसपेशियों का सफल इलाज जीएमपी सर्टिफाइड कंपनी के प्रोडक्ट के आधार पर करता है ओस्टियोआर्थराइटिस या जोड़ों के दर्द के ट्रीटमेंट के लिए दवा जाने और पाएं।
    चिकित्सा के अभिलाषी लोग भी नब्ज़ दिखाकर निदान कराके सही एवं सटीक इलाज प्राप्त करें।
    जो लोग दूर-दराज में रहते हैं आने में असमर्थ है वह लोग भी संस्थान में संपर्क करके मैसेज डाल कर या वैदिक निदान लिंक के माध्यम द्वारा अपनी समस्या को अपने कंफर्ट पर दर्ज करा कर परामर्श प्राप्त करा सकते हैं।

    उपयोगी प्रोडक्ट्स

    आर डी कषाय
    2.लिवो डिटॉक्स
    कोलोन डिटॉक्स
    ओस्टियोआर्थराइटिस में लाभकारी दवाईयां तीनों को एक साथ प्रयोग बहुत कारगर है।
    लेने की विधि आरडी कषाय 30ml सुबह और शाम को खाली पेट डिटॉक्स और कोलोन डिटॉक्स दो कैप्सूल रात को सोते समय गर्म पानी से लें।
    परहेज सावधानियां
    वर्कआउट एवं व्यायाम जरूरी है
    फैटी फ्राई खान-पान परहेज़
    ओवर ईटिंग से बचें
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